कला
जिन्दगी [गजल]
- धनराज गिरी
- ६ फाल्गुण बिहीबार, २०७७ | १३:४३:०० मा प्रकाशित

केही छैन यो जिन्दगी --
प्रसाद राज शर्मा !!
कतिखेर --अस्पताल ---
कतिखेर --घरमा !!
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कमजोर सारा पाटपूर्जा --
थोत्रो हुने गाडी !!
तान्नुपर्ने गाडा हो यो ----
ओखातिको भरमा !!
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हीरो जीरो गुलियो पीरो
धनी --गरीब --राजा
आखिरमा ---
चितामाथि, यमराजको
करमा !
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थाहा छ यी कुराहरू ---
हरेक मान्छे पाहुना !
बाँचुन्जेल हरे शिव ---
मरिने शहरमा !!!!!!
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आज यहाँ भोलि कहाँ
पानीको हो फोका
उही कथा अनन्तको
नेपाल चीन बर्मा !
प्रतिकृया दिनुहोस